बिलासपुर। सकरी तहसील कार्यालय से है। नायब तहसीलदार ने प्रभाव और दबाव में आकर हड़बड़ी में गड़बड़ी कर दिया है। एसडीएम अधिकार क्षेत्र का काम खुद कर दिया है। गड़बड़ी के बाद मामले को छिपाना अब मुश्किल साबित हो रहा है। जमीन मालिक के सामने नई परेशानी खड़ी हो गयी है। समस्या इस बात की है कि अब रसूखदार जमीन मालिक उसी काम को करवाने एसडीएम के सामने कैसे जाए। क्योंकि एसडीएम के सामना होते ही नायब तहसीलदार की ना केवल पोल खुल जाएगी। बल्कि एक एकड़ जमीन का सच भी सामने आएगा। बहरहाल हार नहीं मालने हुए जमीन मालिक दलाल का सहारा ले रहा है। मामला सकरी थाना क्षेत्र का है... नायब तहसीलदार के पटवारी हल्का क्षेत्र में बिलासपुर शहर का एक रसूखदार साल 1998 में किसान से अपने नाम 2 एकड़ जमीन खरीदा। जमीन खरीदी के बाद नामांतरण की रस्म अदायगी हुई। लेकिन रिकार्ड दुरूस्ती का काम नहीं हुआ। करीब 25 साल बाद शहर का रसूखदार जमीन को बेचने का मन बनाया। और बेच भी दिया। रिकार्ड दुरूस्त आवेदन करने के दौरान पता चला कि अभी जमीन पुराने मालिक के नाम पर ही दर्ज है। पहले पुराने रिकार्ड को ठीक करना होगा..इसके बाद नये मालिक के नाम पर जमीन चढ़ाया जाएगा। इसी बीच रसूखदार जमीन मालिक ने रिकार्ड दुरूस्ती के लिए दलाल से सम्पर्क कर नायब तहसीलदार के सामने आवेदन पेश किया। नायब तहसीलदार ने सौदा कर पुराने बी-1 के अनुसार नामांतरण के साथ रिकार्ड दुरूस्त किया। जानते हुए भी कि रिकार्ड दुरूस्त का अधिकार सिर्फ एसडीएम को है। लेकिन नायब तहसीलदार ने जोखिम लिया।
फंस गए नायब
मजेदार बात है कि अब जमीन मालिक के सामने नई समस्या खड़ी हो गयी है। हड़बड़ी में दूसरे के अधिकार क्षेत्र में घुसकर रिकार्ड दुरूस्त करने के खेल में नायब तहसीलदार फंसते नजर आने लगे हैं। दरअसल हड़बड़ी के खेल में नायब तहसीदार ने रिकार्ड में एक एकड़ जमीन कम चढ़ा दिया है। ऐसा पुराने बी-1 के कारण हुआ। क्योंकि पुराने जमीन मालिक ने रसूखदार को बेचा दो एकडज़् लेकिन मौके पर रकबा सिर्फ एक एकड़ ही है।